भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति का दिव्य तीर्थस्थल है मेहंदीपुर बालाजी
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मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का इतिहास सदियों पुराना है। इस स्थान का उल्लेख प्राचीन हिन्दू ग्रंथों में भी मिलता है।
ऐसी मान्यता है कि भगवान हनुमान ने इस स्थान पर अपनी उपस्थिति स्वयं स्थापित की थी, जिससे यह स्थान अत्यधिक पवित्र और शक्तिशाली माना जाता है।
मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर राजस्थान के दौसा जिले में स्थित एक प्रमुख हिन्दू तीर्थस्थल है। यह मंदिर हिंदू देवता हनुमान जी को समर्पित है, जिन्हें बालाजी के नाम से भी जाना जाता है। मेहंदीपुर बालाजी मंदिर विशेष रूप से तंत्र-मंत्र और भूत-प्रेत बाधाओं से मुक्ति के लिए विश्वप्रसिद्ध है। यहाँ पर हजारों भक्त मानसिक, शारीरिक और नकारात्मक समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए आते हैं। कहा जाता है कि बालाजी महाराज स्वयंभू हैं यानि अरावली पहाड़ियों के बीच भगवान हनुमान की मूर्ति यहाँ स्वयं से प्रकट हुई थी, इसे किसी भी कलाकार ने नहीं बनाया है। मंदिर परिसर में मुख्यतः तीन देवताओं की मूर्तियाँ हैं जिनमें पहला श्री बालाजी (हनुमान जी) है जिनकी मूर्ति केंद्र में स्थित है। बालाजी महाराज मेहंदीपुर के राजा और भगवान शिव के अवतार हैं। इनके समक्ष ही बुरी आत्माओं की पेशी लगती है। भोग में इन्हें इनके प्रिय बेसन के लड्डू चढ़ाए जाते हैं। दूसरा प्रेतराज सरकार देवता हैं जो भूत-प्रेत बाधाओं को दूर करने के लिए पूजे जाते हैं। ये बालाजी महाराज के दरबार के दंडनायक हैं जो बुरी आत्माओं को दंड देने का अधिकार रखते हैं। इन्हें पके हुए चावलों और खीर का भोग लगता है। तीसरे देवता हैं भैरव कोतवाल, जो बालाजी महाराज की सेना के सेनापति माने जाते हैं इसलिए इन्हें भैरव कोतवाल भी कहा जाता है। यह देवता मंदिर के रक्षक माने जाते हैं और भक्तों की सभी प्रकार की बाधाओं से रक्षा करते हैं। इन्हें उड़द की दाल से बनी चीजों का भोग लगाया जाता है। यह तीनों देवता आज से लगभग 1008 वर्ष पूर्व प्रकट हुए थे। इसके प्रकट होने से लेकर अब तक बारह महंत इस मंदिर की सेवा पूजा कर चुके हैं और अभी इस स्थान पर केवल तीन महंत विद्यमान हैं।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का इतिहास सदियों पुराना है। इस स्थान का उल्लेख प्राचीन हिन्दू ग्रंथों में भी मिलता है। प्रारंभ में यह स्थान घोर बीहड़ जंगल था। इन घने झाड़ियों में जंगली जानवरों का बसेरा था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यहाँ पर एक दिन एक वृद्ध ब्राह्मण को स्वप्न में भगवान हनुमान के बाल रूप का दर्शन हुआ। भगवान ने उन्हें निर्देश दिया कि वे इस स्थान पर उनकी पूजा-अर्चना करें और इसे धार्मिक स्थल के रूप में विकसित करें। इस दिव्य दृष्टांत के बाद वृद्ध ब्राह्मण ने भगवान हनुमान की आज्ञा का पालन करते हुए इस स्थान पर उनकी पूजा-अर्चना शुरू की और धीरे-धीरे यह स्थान एक प्रमुख तीर्थस्थल के रूप में प्रसिद्ध हो गया। मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर न केवल राजस्थान बल्कि पूरे भारत में भूत-प्रेत बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए प्रसिद्ध है। मेहंदीपुर बालाजी की स्थापना से जुड़े कई प्राचीन कथाएँ और मान्यताएँ हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान हनुमान ने इस स्थान पर अपनी उपस्थिति स्वयं स्थापित की थी, जिससे यह स्थान अत्यधिक पवित्र और शक्तिशाली माना जाता है। मंदिर का वर्तमान स्वरूप 20वीं सदी में विकसित हुआ है। माना जाता है कि बालाजी महाराज ने खुद को यहाँ प्रकट किया और स्थानीय लोगों को उनकी उपासना करने का निर्देश दिया।
मेहंदीपुर बालाजी का धार्मिक महत्व:
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के साथ कई चमत्कारिक घटनाओं की कहानियाँ जुड़ी हुई हैं, जिसमें भूत-प्रेत बाधा और अन्य नकारात्मक ऊर्जाओं से मुक्ति पाना प्रमुख है। यह मंदिर तांत्रिक बाधा और अन्य मानसिक समस्याओं से ग्रस्त लोगों के उपचार के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ पर विशेष अनुष्ठान और पूजा के माध्यम से लोग अपनी समस्याओं से मुक्ति पाते हैं। इस मंदिर की तीर्थयात्रा विशेष रूप से नवरात्रि और हनुमान जयंती के समय होती है, जब हजारों श्रद्धालु यहाँ आते हैं। यहाँ पर हर रोज़ विशेष पूजा, आरती और हवन का आयोजन होता है जिसमें भक्त भाग लेते हैं।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की मान्यताएँ और नियम:
मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यहाँ की चमत्कारिक घटनाओं और मान्यताओं के कारण भी इसे एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। मंदिर में दर्शन करने वाले भक्तों को विशेष रूप से पवित्रता का पालन करने का निर्देश दिया जाता है। जैसे-
- बालाजी महाराज के दर्शन के लिए मेंहदीपुर जाने से कम से कम एक सप्ताह पहले आपको मांस, अण्डा, शराब, प्याज, लहसुन आदि तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए और मंदिर से लौटने के बाद 41 दिन तक इन चीजों का परहेज करना चाहिए। मान्यता ये भी है कि संकट कटवाने वाले व्यक्ति को बालाजी से लौटने के बाद 41 दिनों तक सफेद चीजें (दूध,दही,चावल,सफेद मिठाई) नहीं खानी चाहिए।
- कहा जाता है कि सर्वप्रथम बालाजी महाराज के दर्शन से पूर्व प्रेतराज सरकार के दर्शन और प्रेतराज चालीसा का पाठ करना चाहिए। इसके बाद ही बालाजी महाराज के दर्शन और हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।
- सबसे आखिरी में श्री भैरव कोतवाल के दर्शन करके, भैरव चालीसा का पाठ करना चाहिए।
- मंदिर में किसी से कोई भी चीज़ यहां तक कि प्रसाद भी न लें और न ही किसी को कोई भी चीज़ जैसे प्रसाद न दें।
- मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का प्रसाद कभी घर लेकर न जाएं।
- मंदिर में आते तथा जाते समय भूल से भी पीछे मुड़कर न देखें।
- मेहंदीपुर बालाजी की आरती के समय सिर्फ भगवान की तरफ ही देखें। आरती के समय पीछे मुड़ना या किसी की आवाज सुन कर पीछे नहीं देखना चाहिए।
- आने और जाने की दरखास्त लगाकर जाएं क्योंकि बाबा की आज्ञा से ही कोई मेंहदीपुर में आ तथा मेहंदीपुर से जा सकता है।
- भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति के लिए आने वाले लोग यहाँ पर विशेष अनुष्ठान और पूजा करते हैं, जिन्हें मंदिर के पुजारी और सेवक करते हैं।
- इस मंदिर में रात को रहने की अनुमति नहीं है और सभी भक्तों को सूरज ढलने से पहले ही मंदिर परिसर छोड़ना होता है।
मेहंदीपुर बालाजी के प्रमुख आकर्षण:
मेहंदीपुर बालाजी केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं बल्कि प्राकृतिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण स्थान है। यहाँ आने वाले भक्त और पर्यटक कई धार्मिक और ऐतिहासिक स्थानों का आनंद ले सकते हैं। जैसे-
- मेहंदीपुर बालाजी मंदिर परिसर:मुख्य मंदिर भगवान हनुमान के बाल रूप, बालाजी महाराजको समर्पित है। यहाँ पर भगवान हनुमान की दिव्य मूर्ति स्थापित हैजिसे स्वयंभू माना जाता है। यहाँ पर भक्तजन भूत-प्रेत बाधा और अन्य नकारात्मक ऊर्जाओं से मुक्ति पाने के लिए विशेष अनुष्ठान और पूजा करते हैं। प्रेतराज सरकार मंदिर भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति दिलाने के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ पर विशेष पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं, जिनसे भक्तों को मानसिक और शारीरिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है। वहीं भैरव बाबा मंदिर मुख्य मंदिर के निकट ही स्थित है। भैरव बाबा को मंदिर का रक्षक माना जाता है और उनकी पूजा से भक्तों को सुरक्षा और शक्ति मिलती है।
- चमत्कारी कुण्ड: यह कुण्ड मंदिर परिसर के अंदर स्थित है और यहाँ की जल को पवित्र माना जाता है। यहाँ के जल से स्नान करने से कई भक्तों को शारीरिक और मानसिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
- रामगंगा नदी: मंदिर के पास बहने वाली रामगंगा नदी एक पवित्र नदी मानी जाती है। यहाँ पर भक्त स्नान करके अपनी आत्मा को शुद्ध करते हैं।
- अंजनी माता मंदिर: यह मंदिर भगवान हनुमान की माता अंजनी को समर्पित है। यहाँ पर अंजनी माता की पूजा से भक्तों को आशीर्वाद और सुख-समृद्धि मिलती है।
महंदीपुर बालाजी मंदिर के आस-पास भी घूमने के लिए कई महत्वपूर्ण स्थल है जैसे-
- जयपुर: मेहंदीपुर बालाजी से लगभग 100 किलोमीटर दूर स्थित जयपुर एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। यहाँ पर आप आमेर किला, हवा महल, सिटी पैलेस, जंतर मंतर और नाहरगढ़ किला जैसी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों का आनंद ले सकते हैं।
- दौसा: दौसा शहर मेहंदीपुर बालाजी से लगभग 35 किलोमीटर दूर है। यहाँ पर आप चांद बावड़ी, हर्षत माता मंदिर और नीलकंठ महादेव मंदिर जैसी ऐतिहासिक स्थलों का दर्शन कर सकते हैं।
- भरतपुर: भरतपुर, मेहंदीपुर बालाजी से लगभग 100 किलोमीटर दूर हैजो अपने पक्षी अभयारण्य के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ पर आप केवलादेव घाना राष्ट्रीय उद्यान में विभिन्न प्रकार के पक्षियों का अवलोकन कर सकते हैं।
- स्थानीय बाजार: मेहंदीपुर बालाजी में स्थानीय बाजार भी हैं जहाँ से आप धार्मिक वस्त्र, प्रसाद, धार्मिक पुस्तकें और अन्य सामान खरीद सकते हैं।
इन सभी स्थानों का भ्रमण करके आप अपनी यात्रा को और भी यादगार और धार्मिक अनुभव से भरपूर बना सकते हैं।
मेहंदीपुर बालाजी कैसे पहुंचे:
मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर राजस्थान के दौसा जिले में स्थित है और देश के विभिन्न हिस्सों से यहाँ पहुँचना काफी आसान है। यहाँ पहुँचने के लिए आप सड़क, रेल और वायु मार्ग का उपयोग कर सकते हैं। जैसे-
- सड़क मार्ग: जयपुर से मेहंदीपुर बालाजी की दूरी लगभग 100 किलोमीटर है। आप जयपुर से सीधी बस या टैक्सी लेकर मेहंदीपुर बालाजी पहुँच सकते हैं। यात्रा में लगभग 2-3 घंटे लगते हैं। दिल्ली से मेहंदीपुर बालाजी की दूरी लगभग 260 किलोमीटर है। इस यात्रा में लगभग 5-6 घंटे लगते हैं। राजस्थान राज्य परिवहन की बसें और निजी बसें जयपुर, दिल्ली, आगरा और अन्य प्रमुख शहरों से मेहंदीपुर बालाजी के लिए नियमित रूप से चलती हैं।
- रेल मार्ग: दौसा रेलवे स्टेशन, जो मेहंदीपुर बालाजी से लगभग 35 किलोमीटर दूर है, निकटतम रेलवे स्टेशन है। दौसा स्टेशन से आप टैक्सी या बस लेकर मेहंदीपुर बालाजी पहुँच सकते हैं। जयपुर रेलवे स्टेशन और बांदीकुई रेलवे स्टेशन भी प्रमुख रेलवे स्टेशन हैं, जहाँ से मेहंदीपुर बालाजी के लिए आसानी से टैक्सी या बस उपलब्ध होती है।
- वायु मार्ग: जयपुर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा सबसे निकटतम हवाई अड्डा है जो मेहंदीपुर बालाजी से लगभग 110 किलोमीटर दूर है, हवाई अड्डे से आप टैक्सी लेकर मेहंदीपुर बालाजी पहुँच सकते हैं। दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से भी मेहंदीपुर बालाजी पहुँचना आसान है। हवाई अड्डे से सीधी टैक्सी सेवा उपलब्ध होती है।
यह सुनिश्चित करें कि आप अपनी यात्रा से पहले किसी भी प्रकार की जानकारी या बदलाव के लिए यात्रा सम्बंधित वेबसाइटों या स्थानीय परिवहन कार्यालय से जानकारी प्राप्त कर लें।
मेहंदीपुर बालाजी जाने का सहीं समय:
मेहंदीपुर बालाजी जाने का सही समय मौसम और विशेष धार्मिक आयोजनों को ध्यान में रखते हुए निर्धारित किया जा सकता है। जैसे-
- अक्टूबर से मार्च: यह समय मेहंदीपुर बालाजी जाने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। इस दौरान मौसम सुहावना और ठंडा होता है, जिससे यात्रा और दर्शन करने में आसानी होती है। दिन के समय तापमान 20-25 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है, जो कि यात्रा के लिए अनुकूल होता है।
- गर्मियों (अप्रैल से जून): गर्मियों के महीनों में यहाँ का तापमान काफी बढ़ सकता है, जो यात्रा को असुविधाजनक बना सकता है। तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच सकता है। यदि आप इस समय यात्रा कर रहे हैं, तो सुबह या शाम के समय दर्शन करना अधिक आरामदायक होता है।
- मानसून (जुलाई से सितंबर): मानसून के दौरान यहाँ भारी बारिश हो सकती है, जिससे यात्रा में कठिनाई हो सकती है। लेकिन बारिश के बाद का मौसम खुशनुमा हो सकता है।
- नवरात्रि: नवरात्रि के दौरान यहाँ विशेष पूजा और अनुष्ठान होते हैं, जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं। इस समय मंदिर में भीड़ अधिक होती है, लेकिन धार्मिक और आध्यात्मिक माहौल का अनुभव करना विशेष होता है।
- हनुमान जयंती: हनुमान जयंती के अवसर पर भी यहाँ विशेष आयोजन होते हैं। यह भगवान हनुमान का जन्मदिन होता है और इस दिन यहाँ विशेष पूजा, आरती और भंडारे का आयोजन होता है।
- सप्ताह के दिन: मंगलवार और शनिवार का दिन विशेष रूप से भगवान हनुमान को समर्पित होते हैं। इन दिनों यहाँ भक्तों की संख्या अधिक होती है और विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन होता है।
इन बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए आप अपनी यात्रा की योजना बना सकते हैं। अगर आप भीड़-भाड़ से बचना चाहते हैं, तो नवरात्रि और हनुमान जयंती जैसे विशेष अवसरों को छोड़कर अन्य दिनों में यात्रा कर सकते हैं।
मेहंदीपुर बालाजी में अर्जी कैसे लगाएं:
मेहंदीपुर बालाजी में अर्जी लगवाने का विशेष महत्व है, खासकर उन लोगों के लिए जो भूत-प्रेत बाधा, तांत्रिक बाधा या अन्य मानसिक समस्याओं से ग्रस्त होते हैं।
- सबसे पहले आप मेहंदीपुर बालाजी मंदिर पहुँचें। मंदिर परिसर में पहुँचते ही आपको अर्जी लगाने के लिए आवश्यक सामग्री खरीदनी होती है, जो मंदिर के बाहर की दुकानों में आसानी से उपलब्ध होती है।
- अर्जी के लिए आवश्यक सामग्री में मुख्य रूप से एक नारियल, कुछ मिठाई (जैसे लड्डू), एक लाल कपड़ा और धूप-बत्ती शामिल होते हैं। यह सामग्री आप मंदिर के पास की दुकानों से खरीद सकते हैं।
- अर्जी लगाने के लिए एक सफेद कागज पर अपनी समस्या और अपनी कामना लिखें। यह लेखन आप स्वयं कर सकते हैं या फिर मंदिर परिसर में मौजूद पंडित या पुजारियों से सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
- मंदिर परिसर में जाकर, मुख्य मंदिर के अंदर या बाहर स्थित अर्जी स्थल पर जाएँ। यहाँ पर आप अपनी अर्जी और सामग्री को भगवान बालाजी के चरणों में समर्पित करें। इसके बाद पुजारी या सेवादार आपकी अर्जी को स्वीकृति देने के लिए विशेष मंत्रों का उच्चारण करेंगे और आपकी अर्जी को स्वीकार करेंगे।
- अगर आप भूत-प्रेत बाधा या अन्य गंभीर समस्या से ग्रस्त हैं, तो मंदिर में विशेष अनुष्ठान भी आयोजित होते हैं। इसके लिए आप मंदिर के पुजारियों से संपर्क कर सकते हैं और उन्हें अपनी समस्या बता सकते हैं। विशेष अनुष्ठान में आपको पुजारी के निर्देशानुसार विशेष पूजा, हवन या अन्य धार्मिक क्रियाएँ करनी होती हैं।
- अर्जी लगाने के बाद, मंदिर से प्राप्त प्रसाद को अपने परिवार और मित्रों में बाँटें। यह प्रसाद भगवान बालाजी का आशीर्वाद माना जाता है और इसे श्रद्धा से ग्रहण करना चाहिए।
इस प्रकार मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यहाँ की चमत्कारिक घटनाओं और मान्यताओं के कारण भी इसे एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। यहाँ पर आने वाले भक्त भगवान हनुमान के चमत्कारों का अनुभव करते हैं और अपनी समस्याओं से मुक्ति पाते हैं।